Thursday, 6 May 2021

राधा तिवारी " राधेगोपाल " , दोहे ( छंद विज्ञात का)


 
छंद विज्ञात का

कलम पकड़ कर हाथ में, रचलो रचना आप।
दे देना आशीष ही,मत लिखना अभिशाप।।1।।

शब्दों का आधार ले,कर देना उपकार।
गीतों गजलों से करो, जन-जन का उद्धार।।2।।

लिखो छंद विज्ञात का, जग में करना नाम।
छंदों में आगे बढ़े,छंद यही अविराम।।3।। 

राधे ने तो लिख दिए, देखो दोहे पाँच।
साँच नहीं लाती यहाँ, कभी जगत में आँच।।4।।

राधे मुक्तक लिख रही, लिखती दोहे गीत।
हिंदी से बढ़ने लगी, देखो अब तो प्रीत।।5।।

कठिन राह को देखकर,मत रुक जाना आप।
संकट के तो काल में,करो राम का जाप।।6।।

 वृक्ष लगा कर कीजिए,कुछ तो अच्छे काज।
शुद्ध हवा बनती रहे , धरती पर सरताज।।7।।

काम क्रोध मद लोभ में, फँस  जाते जो लोग
 उनको तो मिलता रहे ,जाने कैसा रोग।।8।। 
 

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