आंसू
आंसू जब तक आंख में रहते कोई समझ नहीं पाता
सहन नहीं होती जब पीड़ा तब वो बाहर आता
नेत्र लाल जब हो जाते हैं सबको ये जतलाते
टपक के आंसू आंख से दिल के भेद सभी खुल जाते
दुख के आंसू खुशी के आंसू विस्मित हैं कर देते
टपक टपक गालों पर आते सब को तब दिख जाते
पल खुशियों से भरा जो आया तब भी बहते आंसू
दुखिया की पीड़ा को हरदम कहकर जाते आंसू
दबी हुई है जो भी दिल में बात बताते आकर |
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.03.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3267 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteनयी पोस्ट: इश्क़ और कश्मीर।