Saturday, 30 March 2019

गीत, "तूफान" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


तूफान
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अपने ही घर में आज हम मेहमान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 सिखाई थी सबको नेकिया हमने जहान् में
अब हम उन्हीं के सामने बेईमान हो गए
अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 सुनामी से भी कभी डरे नहीं थे हम तो
हल्का पवन भी आज तो तूफान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

चले गए परिंदे सभी अब ना जाने किधर
 ऊंचे ऊंचे पेड़ भी वीरान हो गए
 अपनी ही अंजुमन में अन्जान हो गए

 धन दौलत से राधे होता ना कोई धनी।
 अपने ही केदार से धनवान हो गए
अपनी जी अंजुमन में अन्जान हो गए




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