Showing posts with label "दीप " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ). Show all posts
Showing posts with label "दीप " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ). Show all posts

Sunday, 24 March 2019

ग़ज़ल, "दीप " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )




दीप
Related image
दीप नन्हा सा धरा पर जल रहा है 
 उजियार उसमें दो जहां का पल रहा है

 नेकिया सब काम आएंगी तुम्हारी
 बदकिस्मती का दौर देखो चल रहा है

 रिश्ते नातों की जहाँ थी डोर पक्की
 भाई ही भाई को अब तो छल रहा है

झूठ अब तो सिर पे चढ़कर बोलता है
 सत्य अब तो है सभी को खल रहा है

 श्रवण बनकरके रहो तुम इस धरा पर
 याद अब राधे को अपना कल रहा है