अभिनंदन
है दिसंबर साथ देखो कर रहा वीरों का वंदन
आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन
हाथ में हो थाल फूलों से भरा
भाल पे शोभित रहे हरदम ही तेरे तिलक चंदन
आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन
सैन्यबल से है सुरक्षित, आज सीमाएं हमारी
देखकर उनका ये जीवन ,अंग करते हैं स्पंदन
आओ मिलकर हम करें, इस धरा का अभिनंदन
सैनिकों ने है संभाली, जब से इसकी डोर है
तब से धरती का हर कोना, करता नहीं है क्रंदन
आओ मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन
कह रही राधे बचा लो, देश को अपने लिए
इस धरा पर ही तो, पैदा हुए कई हरिनंदन
मिलकर हम करें इस धरा का अभिनंदन
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Thursday, 28 March 2019
कवित्त, " अभिनंदन " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-03-2019) को दोहे "पनप रहा षडयन्त्र" (चर्चा अंक-3289) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'