Tuesday, 13 November 2018

दोहे "रहना हरदम साथ" (राधा तिवारी 'राधेगोपाल')

 
नेकी के हर काम काकरती हूँ  आगाज़।
 एक भरोसे राम केलगा रही आवाज़ ।।

दौलत-शौहरत से नहींहोती है पहचान 
काम सदा ही नेक होमन में लो यह जान।।

 हरियाली तो है नहींफिज़ाँ नहीं रंगीन।
 सूखी खेती देखकर, कृषक हुआ गमगीन।।

 वन में दिखते हर जगहकितने ही सारंग।
 कुछ चढ़ते है पेड़ पर, कुछ करते हुड़दंग।।

चारदीवारी को कभी, मत समझो तुम धाम।
 जहाँ रहे परिवार सब,  उसका घर है नाम।।

कितनी हो मजबूरियाँरहना हरदम साथ।
 मिलकर के तुम प्यार से ,सदा बटाना हाथ।।

 समस्याओं को देखकरमत होना हलकान।
 सहन करो हंसकर सभीजीवन के व्यवधान।।

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