नेकी के हर काम का, करती हूँ आगाज़।
एक भरोसे राम के, लगा रही आवाज़ ।।
दौलत-शौहरत से नहीं, होती है पहचान ।
काम सदा ही नेक हो, मन में लो यह जान।।
हरियाली तो है नहीं, फिज़ाँ नहीं रंगीन।
सूखी खेती देखकर, कृषक हुआ गमगीन।।
वन में दिखते हर जगह, कितने ही सारंग।
कुछ चढ़ते है पेड़ पर, कुछ करते हुड़दंग।।
चारदीवारी को कभी, मत समझो तुम धाम।
जहाँ
रहे परिवार सब, उसका घर है नाम।।
कितनी हो मजबूरियाँ, रहना हरदम साथ।
मिलकर के तुम प्यार से ,सदा बटाना हाथ।।
समस्याओं को देखकर, मत होना हलकान।
सहन करो हंसकर सभी, जीवन के व्यवधान।।
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Tuesday, 13 November 2018
दोहे "रहना हरदम साथ" (राधा तिवारी 'राधेगोपाल')
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