Friday, 2 November 2018

दोहे " मात-पिता गुरुदेव को, जो करते हैं प्यार" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 दोहे "
 मात-पिता गुरुदेव को, जो करते हैं प्यार"
 मेरे मित्रों ने किया, है मुझ पर अहसान।
 सुख दुख में मुझको दिया, सदा यहाँ  सम्मान।।

 सुंदर वह होता नहीं, जिसका सुंदर अंग।
 कभी नहीं रब देखता, काला गोरा रंग ।।

अहंकार से हो रहे ,अपनों से हम दूर ।
अहंकार को छोड़ दो, मत होना मगरूर।।

 लिखते हैं हम तब वही, जब आते उद्गार।
 लिखने से पहले करें, मन में सदा विचार ।।

करती दिल से प्रार्थना, राधा कर को जोड़।
 गुरुवर मेरे साथ को ,कभी ना देना छोड़।।

  मात-पिता गुरुदेव को, जो करते हैं प्यार।
 हो जाते हैं वह सदा, भवसागर से पार।।


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