कोजावत उपवास
कहे बिहार बंगाल में , कोजावत उपवास ।
लक्ष्मी करने आ रही, धरती पर आवास।।
व्यापारी देना नहीं ,रुपया आज उधार ।
सोच समझ कर कीजिए , तुम अपना व्यापार।।
चंदा वर्षा कर रहा ,है अमृत की आज ।
ईष्ट देव को तुम भजो, पूरण होंगे काज।।
धवल चंद्र की चांदनी, देती सदा सुकून।
सबसे अच्छा है यहाँ , कुदरत का कानून।।
आदिदेव मेरे करो, मन से दूर विकार।
ग़र नहीं पूजा आपको, तो जीवन धिक्कार।।
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