विषय - अभिलाषा
विधा - चौपाई छन्द
समझ रहे हैं सब की भाषा।
तुम समझो मेरी अभिलाषा।
समय कभी भी नहीं गवाँओ।
नेह सभी का जग में पाओ।।1।।
रात दिवस कहती है राधा।
कृष्ण हरो तुम मेरी बाधा।
मत तुम हमको कभी सताना।
रूठ गई तो हमें मनाना।।2।।
पास हमारे मोहन आओ।
पनघट तक मुझको पहुँचाओ।
पूरी कर राधा की आशा।
मत देना तुम कभी निराशा।।3।।
गूँज रही है कोयल काली।
खिले फूल अब डाली डाली।
बंसी की धुन अभी बजाओ।
गोपी ग्वाले पास बुलाओ।।4।।
तुमको गोपी सदा बुलाती।
हाँडी भर नवनीत खिलाती।
अब तो समझो सब की भाषा।
राधे की है ये अभिलाषा।।5।।
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Saturday, 14 March 2020
चौपाई छन्द , " अभिलाषा " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),
Friday, 13 March 2020
चौपाई छंद ," भोर " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),
विषय भोर
विधा चौपाई छंद
भोर भई पनघट पर जाओ
जल में गगरी सदा डुबाओ
अधजल गगरी छलकत जाती
गोरी आधी घर पहुँचाती
सखियाँ करती हँसी ठिठोली
खेल रही बनकर हमजोली
देखो नाच रही है राधा
खुश होकर दुख होता आधा
सूर्य देवता भी आते हैं
सबको ही तो वो भाते हैं
काम समय पर जो है करते
उनके दुख भी भगवन हरते
गगरी भर कर घर को जाती
दिनभर वो पनघट पर आती
कठिन गाँव का जीना इतना
तुम बतलादो होता कितना
अब तो जल भी घर घर आया
पढ़ना लिखना सबको भाया
शोर करे मिल चिड़िया सारी
भोर हुई जागो नर नारी
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Thursday, 12 March 2020
चौपाई छंद, "सरस्वती वंदना" (राधा तिवारी ,राधेगोपाल )
विषय सरस्वती वंदना
विधा चौपाई छंद
आज बसंत दिवस है आया
बाग फूल बूटा इतराया
तितली ने भी पँख फैलाए
काले भँवरे भी उड़ आए
सूरज जब नभ में आएंगे
धरा पे किरणें बिखराएंगे
होगी चारों ओर खुशाली
फूल तोड़ने आए माली
सरस्वती की करो वंदना
महकेगा सबका घर अँगना
माता जी का ध्यान करेंगे।
उनके दुखड़े सदा हरेंगे
तुम स्वर की देवी कहलाती
बजा के वीणा हमें सुनाती
ज्ञान जिसे भी है मिल जाता
वह फिर कभी नहीं गिर पाता
धन्य धन्य हो मातु शारदे
अज्ञानता से हमें तार दे
राधे जपती नाम तुम्हारा
तुम दे देना सदा सहारा
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Wednesday, 11 March 2020
छंद, " नारी "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
विधा- छंद
विषय- नारी
जगत के काम सभी ।
नौकरी वो करती है,
रख स्वाभिमान को।
बेटियों को विदा करें,
पाल पोस बड़ा करे।
सौंपती है वर जी को,
कर कन्यादान कों।
बड़ों की वो करे सेवा,
पूजा से लुभाती देवा।
कर अच्छे काम को तो,
पाती वरदान वो।
अतिथि को मान देती,
दुख पहचान लेती।
चढ़ती है ऐसे नित ,
कितने सोपान वो।
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Tuesday, 10 March 2020
मनहरण घनाक्षरी ," रंगों का त्योहार " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),
रंगों का त्योहार
रंगों का त्योहार आया
खुशी चारों ओर लाया
हाथ में गुलाल लेके
आप भी तो आइए
गुजिया के थाल सजे
ढोलक मंजीरे बजे
राधे के तो साथ में
आप भी तो गाइए
बरसे गुलाल लाल
करे होली में धमाल
सखी अपने साथ तो
राधा को नचाइए
रंग हरा लाल पीला
कृष्ण ने राधा पे डाला
कृष्ण को भी आप रंग
प्यार का लगाइए
अबिर गुलाल लेके
नेह सबको ही देके
राधे के तो साथ आप
कृष्ण को भीगाइए
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Monday, 2 March 2020
कुंडलियां , " डोली " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
डोली
डोली में वो बैठके, जाती जब ससुराल। सोचो बेटी के बिना, मात-पिता का हाल।। मात-पिता का हाल, जगत के लोगों जानो। भेज रहे परदेस,कलेजा अपना मानो। कह राधे गोपाल, चमकती चुनर चोली। जाती है ससुराल, सुता चढ़ करके डोली । |
Sunday, 1 March 2020
कुण्डलियाँ ,सड़कों का हाल (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")
सड़कों का हाल बदतर अब होने लगा, है सड़कों का हाल। पैदल जो भी चल रहे, वो होते बेहाल।। वो होते बेहाल, सड़क ढूँढे फिरते हैं। गड्ढों में है पैर, तभी तो वह गिरते हैं। कह राधे गोपाल, रहोगे कब तक घर पर। सड़कों का अब हाल, हुआ है बद से बदतर। गाड़ी का टायर कहे, हम होते बेहाल। देख अचंभित हो रहे, हैं सड़कों का हाल।। है सड़कों का हाल, दुखी है जनता सारी। सड़क बने हैं ताल, ये कैसी है लाचारी। कह राधे गोपाल, कह रहा है ये शायर। पक्चर होता जाय, सदा गाड़ी का टायर।। |
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