अनमोल दोहे फसल पक्की जब खेत में, खुश हो गया किसान। लेकर गट्ठा हाथ में, जाता ये नादान।। : मात-पिता के साथ में, काम करे संतान। अब तो यह भी ला रहे, घर में गेहूँ धान।। मास्क लगाकर कर रहे, सब आपस में बात। कोरोना करने लगा, आपस में आघात। हाथ मिलाना छोड़ कर, हाथ जोड़ते लोग। डर कर के सब रह रहे, आया कैसा रोग।। डॉक्टर सब चौकस हुए, करने को उपचार। पर सबका ही बदल गया, आज यहाँ व्यवहार।। सड़कें सूनी हो गई, बंद सभी बाजार। लॉक डाउन के दौर से, कैसे होंगे पार।। |
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