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Saturday, 11 December 2021

राधा तिवारी , राधेगोपाल , दोहे , मात-पिता के साथ में,

 




 अनमोल दोहे 

फसल पक्की जब खेत मेंखुश हो गया किसान।
लेकर गट्ठा हाथ मेंजाता ये नादान।।

मात-पिता के साथ मेंकाम करे संतान।
अब तो यह भी ला रहेघर में गेहूँ धान।।

 मास्क लगाकर कर रहेसब आपस में बात। 
कोरोना करने लगाआपस में आघात।

हाथ मिलाना छोड़ करहाथ जोड़ते लोग।
डर कर के सब रह रहेआया कैसा रोग।।

डॉक्टर सब चौकस हुएकरने को उपचार।
पर सबका ही बदल गयाआज यहाँ व्यवहार।।

सड़कें सूनी हो गईबंद सभी बाजार।
लॉक डाउन के दौर सेकैसे होंगे पार।।


Tuesday, 7 December 2021

राधा तिवारी ,राधेगोपाल ,दोहे, वन संपदा

 


 वन संपदा
संसाधन जग में मिलेसब को एक समान।
 इन संसाधन को सदादेना तुम तो मान।।

 वन संपदा ही रहेसदा देश की शान।
 पेड़ उगा कर आप भी, लेना जीवनदान।।

 नहीं पेड़ को काटकरधरा करो बर्बाद। 
पेड़ों से है जिंदगी, जीव जंतु आबाद।।

 जल को अमृत मान कर सदा दीजिए मान। 
पानी की हर बूंद का करना तुम सम्मान।।

राधा तिवारी"राधेगोपाल" 
खटीमा 
उधम सिंह नगर 
उत्तराखंड
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