जीने का ढंग नेह रखो मन में सभी ,मत रखना अभिमान । मन वाणी से शब्द हो ,मिले उसी को मान।। रावण का अभिमान भी ,हुआ यहाँ पर चूर। हुए अंत में राम ही ,इस जग में मशहूर।। अभिमान करना नहीं ,राधे रखना ध्यान जीवन है दो-चार दिन ,बन कर रहना शान ।। छोटा सा यह वायरस ,दिखा रहा है रंग सिखा रहा है आज फिर , यह जीने का ढंग घर के अंदर ही मनुज , मिलता जीवनदान हाथ जोड़कर ही करें, इसका आप निदान धैर्य रखो मन में सदा ,हार मिले या जीत। हाथ जोड़कर कीजिए ,अपनों से तुम प्रीत कोरोना अब हिंद में, रहे पसारे पैर घर में रहकर ध्यान दो ,नहीं करो अब सैर ।। हाथ जोड़कर कर रही ,राधे विनती आज मानव ही बन कर रहे ,जीवन में सरताज राधा तिवारी"राधेगोपाल" खटीमा उधम सिंह नगर उत्तराखंड |
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