विषय - मकर संक्रांति
विधा - चौपाई छन्द
मकर सक्रांति पर्व है आया
उत्तरांचल पूरा हर्षाया
काले काले कौए आजा
मीठे मीठे घुघुते खाजा।।1।।
काँप रही सर्दी से काया
मुन्ना कोट पहन के आया
खालो गरम गरम घुघुते तुम
पर्व दिवस मत बैठो गुमसुम।।2।।
नानी ने उसको बतलाया
उसके मन का उसे दिलाया
तिल गुड़ को जो भी खाएगा
सर्दी से वो बच पाएगा ।।3।।
पतंग उड़ाओ मुन्ने राजा
आकर के मिष्ठान तो खा जा
लगा हुआ है देखो मेला
बच्चों का है रेला पेला।।4।।
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Wednesday, 15 January 2020
चौपाई छन्द , " मकर संक्रांति "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Friday, 10 January 2020
Thursday, 9 January 2020
Wednesday, 8 January 2020
गीत, जग का अंदाज " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
जग का अंदाज
धरा नभ की आवाज़ क्या जाने चकोरी के नए अंदाज चांद क्या जाने देखकर चंदा को रातों में कितना उसको है नाज़ क्या जाने रोज रात में यूं छिप छिप कर एक टक देखती है चंदा को चांद इजहार कर रहा खुलकर निराला है आगाज क्या जाने जुगनूओं बीच में ना जाओ तुम चकोरी को नहीं लुभाओ तुम तारों की तरह तुम चमक नहीं सकते राधे जग का अंदाज क्या जाने |
Tuesday, 31 December 2019
कुण्डलियाँ , " बात " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
बात
प्रेमी आपस में करें, आंखों से ही बात। शब्दों के आधार तो, पहुंचाते आघात।। पहुंचाते आघात, बात कर सोच समझ कर। करना मत तकरार, सुलझती बातें मिलकर। कह राधे गोपाल, लगाओ नेह सुयश में। मिलकर रहना साथ, सदा प्रेमी आपस में।। लगातार ही आ रही बारिश चारों ओर कहीं बाढ की है दशा कहीं मेघ का शोर कहीं मेघ का शोर फटे अब क्यों पर बादल धरती पर तो नीर घूमता बनके पागल कह राधे गोपाल करेंगे वृक्ष पार ही बोते रहना पेड धरा पर लगातार ही |
Monday, 30 December 2019
Sunday, 29 December 2019
कुण्डलियाँ, " कुल्हाड़ी ", (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
कुल्हाड़ी
सुख-दुख जीवन में सदा, आते एक समान | सुख जल्दी से बीतता, दुख लाता व्यवधान | दुख लाता व्यवधान, झलकती पीड़ा भारी | ईश्वर करता दूर, सखे पनपती पीर तुम्हारी | कह राधे गोपाल, तसल्ली रक्खो मन में | आते रहते पास, अरे सुख-दुख जीवन में || कुल्हाड़ी का तुम कभी, मत करना उपयोग | पेड़ों के बिन जगत मेंं, बढ़ जाएँगे रोग | बढ़ जाएँगे रोग, उगाओ पेड़ धरा पर | सूखी बंजर भूमि, अरे तू हरा-भरा कर | कह राधे गोपाल, बोलती सदा पहाड़ी | पेड़ बचा लो मित्र, फेंककर दूर कुल्हाड़ी || |
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