जग का अंदाज
धरा नभ की आवाज़ क्या जाने चकोरी के नए अंदाज चांद क्या जाने देखकर चंदा को रातों में कितना उसको है नाज़ क्या जाने रोज रात में यूं छिप छिप कर एक टक देखती है चंदा को चांद इजहार कर रहा खुलकर निराला है आगाज क्या जाने जुगनूओं बीच में ना जाओ तुम चकोरी को नहीं लुभाओ तुम तारों की तरह तुम चमक नहीं सकते राधे जग का अंदाज क्या जाने |
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