कुल्हाड़ी
सुख-दुख जीवन में सदा, आते एक समान | सुख जल्दी से बीतता, दुख लाता व्यवधान | दुख लाता व्यवधान, झलकती पीड़ा भारी | ईश्वर करता दूर, सखे पनपती पीर तुम्हारी | कह राधे गोपाल, तसल्ली रक्खो मन में | आते रहते पास, अरे सुख-दुख जीवन में || कुल्हाड़ी का तुम कभी, मत करना उपयोग | पेड़ों के बिन जगत मेंं, बढ़ जाएँगे रोग | बढ़ जाएँगे रोग, उगाओ पेड़ धरा पर | सूखी बंजर भूमि, अरे तू हरा-भरा कर | कह राधे गोपाल, बोलती सदा पहाड़ी | पेड़ बचा लो मित्र, फेंककर दूर कुल्हाड़ी || |
Sunday, 29 December 2019
कुण्डलियाँ, " कुल्हाड़ी ", (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
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