कुंडलियां, फूलों का उपहार ((राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),
फूलों का उपहार
चंपा की कलियां खिली, झूम रहा कचनार। बगिया सबको दे रही, फूलों का उपहार।। फूलों का उपहार , प्रकृति हम सबको बांटे फूलों के तो साथ, रहे हैं हरदम कांटे। कह राधे गोपाल,चलो मिलकर सब सखियां। खिली हुईं है आज, सखी चंपा की कलियां।।
जय श्री राधे
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