Monday, 30 December 2019

कुण्डलियाँ, "पिता तुम्हारी हृदय से " , (राधा तिवारी "राधेगोपाल ")


पिता तुम्हारी हृदय से
 पिता तुम्हारी हृदय से, मिटी नहीं है याद |
कैंसे अब देखूँ तुम्हे, मन करता फरियाद |
मन करता फरियाद, देख लूँ पापा तुमको |
दे देना आशीष, हमेशा आकर हमको |
कह राधे गोपाल, वेदना सुना हमारी |
बसी हुईं है याद, सदा से पिता तुम्हारी ||


4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-12-2019) को    "भारत की जयकार"     (चर्चा अंक-3566)  पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. माँ-बाप को जीते-जी कभी कोई नहीं भुला सकता
    पिता की याद ताज़ी कर दी आपने ....

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  3. मातृ-पितृ देवो भवः

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  4. बहुत ही भाव विभोर हो गया हूँ।

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