Tuesday, 31 December 2019

कुण्डलियाँ , " बात " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " )


बात
प्रेमी आपस में करें, आंखों से ही बात।
 शब्दों के आधार तो, पहुंचाते आघात।।
 पहुंचाते आघात, बात कर सोच समझ कर।
 करना मत तकरार, सुलझती बातें मिलकर।
 कह राधे गोपाल, लगाओ नेह सुयश में।
 मिलकर रहना साथ, सदा प्रेमी आपस में।।


 लगातार ही आ रही बारिश चारों ओर
कहीं बाढ की है दशा कहीं मेघ का शोर
 कहीं मेघ का शोर फटे अब क्यों पर बादल
 धरती पर तो नीर घूमता बनके पागल
 कह राधे गोपाल करेंगे वृक्ष पार ही
 बोते रहना पेड धरा पर लगातार ही

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 01 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. प्रशंसनीय

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-01-2020) को   "नववर्ष 2020  की हार्दिक शुभकामनाएँ"    (चर्चा अंक-3567)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    नव वर्ष 2020 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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