Saturday, 26 October 2019

दोहे, जीवन जीने की कला " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


जीवन जीने की कला

जुल्म किसी पर मत करो,करना मत फरियाद।
 शुभ कर्मों से ही सभी, जग में रहते याद।।

 पानी की हर बूंद से, होते हैं सब काज।
  जल संकट गहरा रहा सारे जग में आज।।

 मानव जीवन में नहीं, मिलता है आराम।
 साथ दिवस सप्ताह में, सब करते हैं काम।।

 जीवन जीने की कला, होती जिसके पास।
 वह नर जीवन में कभी, होता नहीं उदास।।

 पेड़ों से पत्ते गिरे, गिरी सूख कर शाख।
 लगी आग तो रह गई, देखो केवल राख।।

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