आयुर्वेद विद्वान
ज्ञाता योगा वेद के, धनवंतरी है नाम।
आयुर्वेद विद्वान थे, हुआ जगत में नाम।।
रोगी काया को सदा, मानो यहाँ गरीब।
धन दौलत गर पास हो, लगते सभी रकीब।।
धन हरदम ही जानिए, अपना स्वस्थ शरीर।
धन दौलत तो बाद में, बदलेगी तकदीर।।
साधु संतों ने कहा, योग करो नित् प्रात।
काम सभी करते रहो,हंस करके दिन रात।।
योग यज्ञ को लो बना, दिनचर्या का अंग।
तुमको जीवन में नहीं, रोग करेगा तंग।।
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