गुड़िया
माँ लाई है प्यारी गुड़िया
उसको वस्त्र पहनाऊंगी
हरे रंग का लहगाँ होगा
चूनर लाल ओढाउँगी
खाना खाने बैठूंगी जब
उसके हाथ धुलाउँगी
रूठेगी जब प्यारी गुड़िया
उसको सदा मनाऊंगी
परेशान गर्मी से होगी
तब उसको नहलाऊंगी
प्यारी प्यारी मेरी गुड़िया
को हरदम सह लाऊंगी
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बचपन याद दिला दिया राधा जी ,,,,बहुत खूब लिखा गुड़िया पर
ReplyDeleteबहुत अच्छी बाल कविता।
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