रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर है ।।
नहीं किसी के लिए कलुस्ता रखते कभी नहीं मन में।
ज्ञान दिया बच्चों को हरदम हंसकर के तुमने जीवन में।।
वरद हस्त मां सरस्वती का रहा आपके हैं सर पर ।
रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर ।।
दुआ दे रहे सब मन से जीवन में हर पल मुस्काओ।
दुख सारे ही हटते जाएं अच्छा स्वास्थ्य सदा ही पाओ।।
देव समान सदा पूजित हो आप हमेशा बाहर घर पर।
रहो स्वस्थ संपन्न हमेशा अपनों के तुम साथ परस्पर।।
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Wednesday, 11 September 2019
कविता , मंगलमय अवसर( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (12-09-2019) को "शतदल-सा संसार सलोना" (चर्चा अंक- 3456) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'