Tuesday, 10 September 2019

दोहे, वर्षा (राधा तिवारी" राधेगोपाल ")


वर्षा 
बरसात से जमीन पर गिरी धान की फसल, किसानों ने मांगा मुआवजा
कल तक थी वर्षा बनी , फसलों को वरदान 
आज हवा के संग मेंचौपट करती धान।।

खड़ी हुई थी शान सेफसल खेत के बीच 
आकर उसे गिरा गई, बारिश कर के कीच।।

पड़ी फसल को देखकरचेहरे हुए मलीन।
कल जो थे हर्ष में ,आज हुए गमगीन।।

 सोचा था भर जाएंगेघर के अब भंडार।
 पर वर्षा से बह गए ,लोगों के घर द्वार।।







1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (11-09-2019) को    "मजहब की बुनियाद"  (चर्चा अंक- 3455)    पर भी होगी। --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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