Showing posts with label (' राधा तिवारी "राधेगोपाल " ). Show all posts
Showing posts with label (' राधा तिवारी "राधेगोपाल " ). Show all posts

Thursday, 5 September 2019

दोहे, " गुरूदेव " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



 गुरूदेव
शिक्षक के सम्मान तो, करते जो भी शिष्य।
 शिक्षक के आशीष से, बनता सदा भविष्य।।

 शिक्षक को सब दे रहे, जग में हरदम मान।
 जग में रखना तुम सदा, एक अलग पहचान।।

 गुरूदेव के सामने, सदा नवाना शीश।
 गुरु खुश हो कर बाँटते, शिक्षा की आशीष।।

 राधे अपने गुरू पर, करती है अभिमान।
 दिल से करती है सदा, उनका वह सम्मान।।

 बढ़ता देखा शिष्य को, गुरुवर हुए निहाल।
 गुरु जी के आशीष से, करता शिष्य कमाल।।

 उर्जा से हो तुम भरे, रूपवान है देह।
 राधे भी गुणवान हो, देना इतना नेह।।