Friday, 28 May 2021

दोहे, सीता सोचे राम को

 






सीता सोचे राम को

मिला यहाँ पर राम कोदारुण दुख संताप।
 कभी-कभी निज काम काहोता पश्चाताप।।

सीता सोचे राम कोयहाँ  सदा दिन रैन।
 सुनकर बातें राम कीमिलता उसको चैन।।

सच ही कहने का यहाँ करना सदा प्रयास।
 झूठ बोलकर टूटतासबका ही विश्वास।।

 सोच यदि अच्छी रहेअच्छा हो परिणाम।
 भजने से श्रीराम कोबनते सारे काम।।

 किया गदे से मारकरराक्षस का संहार।
 हनुमत का तो तेज थाकेवल मुट्ठी प्रहार।।

धन्य हुई माँ  भारतीपाकर पुण्य पीयूष। 
महत्व ले उगता रहायहाँ घास अरु फूस।।
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Wednesday, 26 May 2021

राधा तिवारी राधेगोपाल अनमोल दोहे

 


अनमोल दोहे 




सूर्य देव भगवान को, चढ़ा रहे सब नीर ।
राधे कहती है प्रभु, हरो सभी की पीर।।

 गए पिता संसार से,  सका न कोई रोक
इतने सारे लोग थे ,सबको ही था शो क ।।

 कुरुक्षेत्र में दिख रही, देखो कितनी लाश 
कोई तीरों से मरा, कहीं जकड़ता पाश ।।

दिनकर फिर आकाश मेंलेकर आया भोर।
खुशबू आती फूल ससे ,है बच्चों का शोर।।

 तितली आई बाग मेंकरने को रसपान।
 कोयल का सुन लीजिएआप मधुर सा गान।।

 नई शाख आने लगी, खिल जाएंगे फूल  
धरती हमको दे रही ,सभी समय अनुकूल ।।

बैठ  धाम में आप भी बचा लीजिए जान ।
नवजीवन सबको मिले, मेरा कहना मान।।

होकर के गंभीर सब , रह लेना निज धाम ।
जान बचाने को करो आप सभी आराम।।

 बैठी तितली फूल पर, आया भँवरा  पास।
 फूल उन्हें लगते रहे, हरदम जग में खास।।


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Saturday, 8 May 2021

भोजन का पर्याय

 

भोजन का पर्याय

चमत्कार ऐसा हुआघर में बैठे लोग।
 कोरोना को छोड़करभागे सारे रोग ।।

कोरोना भी जाएगारखना मन में धीर।
 कर देंगे कमजोर हमबनकर के रणधीर।।

 मंदिर घर के खुल गएईश्वर आए पास।
 घर में ही रह कीजिए पूजा अरु उपवास ।।

परिवार के साथ मेंकरिए पूजा जाप ।
कोरोना की तो कड़ी,यूँ तोड़िए आप ।।

दाल और रोटी बनीभोजन का पर्याय 
काम सभी अब बंद हुए ,बंद हो गई आय।। 

घर में ही कर काम को ,कर लेना आराम
 खाना खाना बाद में,पहले कर व्यायाम।।

तीन मई तक बैठिएसब फिर से निज धाम।
जीवन में इस रोग से , मिल जाए आराम 
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एक और सांझा संकलन

 




आज अखिल भारतीय साहित्य मंच साहित्य साधक द्वारा निकाली गई साझा काव्य संकलन "वर्तिका" आज डाक विभाग द्वारा हमें प्राप्त हुई ।

डाक विभाग को कि मैं हमेशा आभारी हूंँ जो यथा समय मेरी पुस्तकें मुझ तक पहुंँचा देते हैं।

पुस्तक के संपादक कृष्ण कुमार क्रांति जी का हृदय से आभार ।जिज्ञासा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में अनेक जाने-माने रचनाकारों ने प्रतिभा किया है।

" मैं राधा तिवारी राधेगोपाल खटीमा उधम सिंह नगर से उत्तराखंड राज्य प्रभारी के रूप में भी इस संस्था के साथ में जुड़ी हुई हूंँ" ।

आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।पुस्तक का कवर पेज बहुत ही लुभावना है और अंतिम पृष्ठ पर सभी रचनाकारों की फोटो लगी है जो बहुत ही आकर्षक है ।पुस्तक में कम ही प्रतिभागी हैं मगर पुस्तक बहुत अच्छी प्रकाशित हुई है ।सबसे पहले साहित्य साधक मंच के उपाध्यक्ष परम आदरणीय उदय नारायण सिंह जी का शुभानुशंसा है ।संपादक जी का संबोध के बाद आदरणीय कृष्ण कुमार क्रांति जी और तदुपरांत मेरी रचनाएं प्रकाशित हुई है ।सभी लेखकों, सभी प्रतिभागियों का मैं हृदय से आभार प्रकट करती हूंँ जिन्होंने इतने सुंदर लेखनी से पाठक वर्ग के लिए काफी कुछ लिखा है ।सभी प्रतिभागी एक से बढ़कर एक रचनाकार हैं और सभी ने पुस्तक को आकर्षक बनाने के लिए अपनी लेखनी का खूब उपयोग किया है ।

जिज्ञासा पब्लिकेशन को मैं पहले से जानती हूंँ। मेरी कई एकल किताबें आपने प्रकाशित की है और कई साझा संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं ।

आपके द्वारा किया गया कार्य सदा ही प्रशंसनीय है कवर पेज और पेपर बहुत शानदार हैं।

 

राधा तिवारी

"राधेगोपाल"

उत्तराखंड राज्य प्रभारी

साहित्य साधक मंच

एल टी अंग्रेजी अध्यापिका

 खटीमा,उधम सिंह नगर

 उत्तराखंड

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राधा तिवारी" राधेगोपाल " , दोहे (विद्वानों की बात)



विद्वानों की  बात

 कष्ट सहो  संयम रखो, रहो सभी निजधाम 
 आप अकेला बैठ कर,कर लेना विश्राम ।।

विद्वानों की  बात का, रखा सभी ने ध्यान 
पालन बातों का करें, अपना हिंदुस्तान ।।

पर्व  मनाता  हैं सभी ,अपना हिंदुस्तान 
हमको तो लगता यही, देवों  का वरदान ।।

ले लेना तुम फैसला, हो करके मजबूर 
अपने हित को छोड़कर, रहना सबसे दूर ।।

रखो देशहित ध्यान में, सुन लो मेरी बात 
निकलो मत घर से कभी, कुछ दिन तक तो आप ।।

विनती है कर जोड़ के, रहो सभी से दूर 
हाथ मिलाना छोड़कर ,जोड़े हाथ जरूर।।

स्वच्छ करें वातावरण, स्वच्छ रहे सब लोग 
दूर यहाँ से जा रहा , कोरोना का रोग ।।

दवा नहीं अब तक बनी, बना नही उपचार
खुद को घर में बंद कर, बस जाए संसार।।

सुख सुविधा की चाह में, काँटे सबने पेड़ 
सड़क बनाने के लिए ,धरती रहे उधेड़।।

चरणों में पितु मात के, सदा नवावों शीश
जग में सबसे है बड़ी ,हर दम ही आशीष।।

पालन जीवन में करो, सदाचार का आप
ईश्वर के ही नाम का ,करते रहना जाप।।

जल का संरक्षण करो, सूख रहे सब ताल 
पेड़ काट कर के यहाँ , बुला लिया निज काल।।

हँसते गाते बाग़ को, रखना तुम आबाद
फूल खिले जिस बाग में, नहीं करो बर्बाद।।

युद्ध क्षेत्र में तो बही, सदा खून की धार 
जीवन है दो-चार दिन, करना सबसे प्यार।।


Friday, 7 May 2021

राधा तिवारी "राधेगोपाल " , दोहे ( भगवान परशुराम)



दोहे
 भगवान परशुराम 
 

परशुराम भगवान की, होगी जय जय कार।
करने को वे आ रहे, इस जग का उद्धार।।1।।

जब जब धरती पर बढ़ा, क्रोध लोभ व्यवहार।
 मानव मानव पर करे, जब भी अत्याचार।।2।।

जब-जब अत्याचार ने, बढ़ा दिए हैं पैर।
तब तब जीवों में हुआ, आपस में ही बैर।।3।।

परशुराम भगवान ने, किया जगत उद्धार।
फरसा लेकर आ रहे, विष्णु के अवतार।।4।।

सिखा रहे हैं जीव को, जीवन का वे सार।
जीना है कैसे मनुज, कैसे होना पार।।5।।


Thursday, 6 May 2021

राधा तिवारी "राधेगोपाल " , एक नया छंद ,"राधेगोपाल छंद "

 


गुरुदेव संजय कौशिक  विज्ञात जी द्वारा बनाए गए 106 नूतन छंदों में एक छंद "राधेगोपाल छंद" हमे भी आशीर्वाद के रूप में मिला 
आप सदा अपनी छत्र छाया में रखें 
आप दीर्घायु रहें  
राधेगोपाल छंद 

■ राधेगोपाल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए

222 212

222 212 12

मगण रगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)

गुरुदेव के आशीर्वाद के बाद परम आदरणीय कृष्ण मोहन निगम जी ने राधेगोपाल छंद पर अपनी लेखनी से हमे अभिभूत किया आपका आशीर्वाद भी सदा बना रहे 

राधेगोपाल छन्द

कृष्ण मोहन निगम जी द्वारा

राधे राधे जपो,
त्रैतापों की समाप्ति हो।।
कान्हा कान्हा कहो।
कान्हा की प्रीति प्राप्ति हो।।

मीरा का था  वही,
वो ही था संत सूर का ।।
सारा संसार है
कृष्णा,तेरा न और का।।


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