Friday, 15 June 2018

जीवन का संगीत (राधातिवारी "राधेगोपाल")


जीवन का संगीत

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चिड़िया बोली ची-ची-ची।
और पपीहा पी-पी-पी।।
होता है जब सुखद सवेरा।
मिट जाता तब सभी अंधेरा।।
जीवन का संगीत सुनायें।
चलो काम में हम खो जायें।।
झूम-झूमकर कहती डाली।
नहीं रहेगी झोली खाली।।
महफिल जब विक्रांत लगेगी।
भीड़ नहीं एकांत लगेगी।।
आज अगर सुखमय हो जाए।
दुनिया फिर रोशन हो जाए।।
साथी बिन महफिल है कैसी।
उसके बिन मंजिल है कैसी।।
दीपक की बाती जब जलती।
तभी रोशनी वह उगलती।।
एकाकार आज हो जायें।
सुर में अपने गीत सुनायें।।
इन आँखों का नूर तुम्हीं हो।
नारी का सिंदूर तुम्हीं हो।।
बिन तेरे है मेल अधूरा।
खेल न होगा तुझ बिन पूरा।।
दिल जब आकर्षित हो जाये।
तब उपवन हर्षित हो जाये।।
राधा की है यही कामना।
रहे श्याम में भक्ति भावना।।
दूर-दूर तक नहीं सवेरा।

बिन तेरे चहुँ ओर अंधेरा।। 

Thursday, 14 June 2018

विदाई (राधातिवारी "राधेगोपाल")

विदाई
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तुम जहां भी रहो याद आओगे तुम l
 यादों में रहोगे ना होंगे कभी गुम ll

 गुरुजनों की दुआएं रहेगी संग संगl
 पढ़ लिख कर भरना अपने जीवन में रंग ll

 कदम कभी भी ना तुम्हारे डगमगाएl
सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते ही जाएं ll

काँटा  कभी भी चुगने ना पायेl
खुशियों के पल हर दम तू पाए ll

जीवन की नैया यह खुशियों भरी होl
फलो फूलो सावन सी हरी हो ll




Wednesday, 13 June 2018

दोहे " मेरे यह दो नैन" (राधातिवारी "राधेगोपाल")

 मेरे यह दो नैन

कलम मेरी सदा  रहे ,लिखने को बेचैन। 
कोरा कागज ढूंढते, मेरे यह दो नैन।।

 अच्छे कर्मों से सदा ,होती है पहचान ।
कपड़ो से होती नहीं, जग मे ये पहचान।।

 हाथ जोड़ने से कभी, कम मत समझो मान।
 झुक जाने से तो सदा, होता है सम्मान।।

रात बनाई ईश ने, करने को आराम ।
हो जाएगी जब सुबह, तब कर लेना काम।।

 देख महल को तू कभी,   करना नहीं गुमान।
अगर हो सके भूल जा ,कर के तू एहसान।।

  दुख जब आए पास में, साथ ना देगा कोय।
 सुख के पल जब आएंगे ,यह जग अपना होय।।

 गंगा जी के घाट पर, आते नर और नार।
इनका ही आशीष से ,भवसागर हो पार।।

 जादू होता कुछ नहीं, सब हाथों का खेल ।
 जादूगर होता वही , करवा दे जो मेल ।।

चटनी और अचार तो ,करते हैं नुकसान।
 पर इनको भी भोज का,जानो हिस्सा मान ।।

अगर बचाना नौकरी ,करो समय पर काम।

वरना तो हो जाएगा, नाम तेरा बदनाम।।

Tuesday, 12 June 2018

दोहे "कलम बना पतवार" (राधातिवारी "राधेगोपाल")


 कलम बना पतवार
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हूक उठी जब हृदय में, कलम बना पतवार।
तुकबन्दी को जोड़ कर, रचना की तैयार ।।

कहां गए आलोक तुम, तम है चारों ओर ।
सूर्य देव आ कर करो, अब तो भाव विभोर।।

प्रेम प्रीत तो हो गई, बीतो युग की बात।
नया सवेरा लाएगा, फिर नूतन सौगात।।

शैल शिखर पर छा गई, हिमचादर चहूं ओर।
चारों तरफ बिखर रही, अब तो शीतल भोर।।

 सृजन करो मन लगा कर, लिखो न ओछी बात।
इससे कोमल भाव को, लगता है आघात।।

माता के दरबार में , करो निवेदन आप।
 मन चाहे फल के लिए, कर लो पूजा जाप।।

 फेरीवाला तो सदा, रखे तराजू संग।

घटतौली से मत करो, कभी किसी को तंग।।

Monday, 11 June 2018

दोहे "भारी वाहन" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल ')


 भारी वाहन
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जबसे सड़कों का हुआ, भारत में विस्तार l
 दाएं बाएं देखकर, करो सड़क को पार ll

 भारी वाहन से सदा , रहना हरदम दूर l
 होती इनसे रोड पर, दुर्घटना भरपूर ll

 पेड़ों से छाया मिले, फल खाता संसार  l
जीवन का तो पेड़ ही, होते हैं आधार ll

घोड़े हाथी अब नही, राजाओं के पास l
महंगी कारें हो रही, अब तो उनकी ख़ास ll

सड़क पार करते समय, देखो दोनों ओर l
 दाएं.बाएं देखलोसंध्या हो या भोर ll

 पेट्रोल डीजल लकड़ियाँ, है ईंधन के रूप l
 यात्रा से पहले सदा, राह चुनो अनुरूप ll

 सफर तभी अच्छा लगे, अगर जेब में दाम l
 वर्षा सर्दी धूप में, कभी न रुकता काम ll





Sunday, 10 June 2018

दोहे "रखना कभी न खोट" (राधा तिवारी " राधेगोपाल ")

रखना कभी न खोट
 लिखती हूं तुम पर सदा, दोहे गजलें गीत ।
आकर के वाचन करो ,ओ मेरे मनमीत ।।
प्रियतम तुमसे है सदा ,मेरा यह सिंगार ।
साथ तेरा मुझको लगे ,जीवन का आधार ।।
 
 साजन सजनी से कहे, आ जाओ तुम पास l
 तुम बिन तो जीवन मुझे, लगता बहुत उदास ll
 पति पत्नी के बीच में, होती जब तकरार l
सुलह.सफाई का सदा ,बातचीत आधार ll
 धनबल जनबल से सदा, मिल जाते हैं वोट।
 अपने मन में मित्र तुम , रखना कभी न खोट।।


Saturday, 9 June 2018

दोहे " मात -पिता का साथ" (राधातिवारी "राधेगोपाल")



मात -पिता का  साथ


आड़ी-तिरछी हो भले ,चाहे वह हो गोल ।
रोटी माँ के हाथ की ,होती है अनमोल ।।


पछतावा करना पड़े, करो न ऐसे काम ।
मात- पिता के चरण में, होते चारों धाम ।।

केवल बेटों से नहीं, होती घर की शान।
बच्चा चाहे एक हो, लेकिन हो गुणवान।।

मात -पिता के साथ में, रहते सब खुशहाल।
माता को प्यारे लगे, खुद अपने ही लाल।।

होता है संतान पर, मात-पिता को नाज ।
रखना मत मां-बाप से, कोई अपना राज।।

 मात-पिता का चाहिए, सब को आशीर्वाद l

 बच्चों उनसे तुम कभी, करना नहीं विवाद ll