नजरें भर कर देखते, हम को बारंबार ।।
नजरो से नजरे मिली, बढा आपसी प्यार।
नजर चुरा जब वो गए, बदल गया व्यवहार।।
नजरों में रखते हमें ,अब तो वह दिन रैन।
किसने चोरी कर लिया, मेरे दिल का चैन।।
जब अखियाँ करने लगी, नैनों में ही बात ।
रहते लब खामोश है, समझो तुम जज्बात।।
स्वप्न सलोने आ रहे, रातों में हर बार ।
आते जाते राह में, हम खोए शत बार।।
हमको घायल कर दिया, दे नजरों के तीर।
कितने अच्छे लग रहे, राम लखन से वीर ।।
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Saturday, 23 February 2019
दोहे, " उनसे जब नजरे मिली " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Friday, 22 February 2019
दोहे, "सुगंधित फूल " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
सुगंधित फूल
जो ईश्वर को है भजे, करके पूजा जाप।
उनके हरदम हैं हटे, जीवन से संताप।।
देवो को मत भूलना, बनकर तुम धनवान।
हाथ बढ़ाकर कीजिए, जग मैं तुम शुभ दान।।
राधा तेरे द्वार पर, झोली रहे फैलाय।
माँ ऐसा वर दीजिए, जन्म सफल हो जाय।।
रिश्ते नाते जोड़ना, है जग का दस्तूर।
अपनों को करना नहीं, कभी हृदय से दूर।।
गुलशन को महका रहे, सदा सुगंधित फूल।
खुशहाली मिलती सदा, खुशियों के अनुकूल।।
गंगा जी के घाट पर, उमड़ा जनसैलाब।
जो सच्चे मन से भजे, पूरे होते ख्वाब।।
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Thursday, 21 February 2019
दोहे, " भोले शंभू नाथ " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
भोले शंभू नाथ
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ईश्वर कर देते सदा, हर मुश्किल आसान।
हरदम करना चाहिए, ईश्वर का गुणगान ।।
नियमित पूजा जाप से, होते देव प्रसन्न।
सुख देते सबको यहाँ , कर देते संपन्न।।
कृपा ईश की हो अगर, होंगे सब खुशहाल।
कृपा हीन करते यहाँ , जग मैं बहुत बवाल।।
जाना हो यदि आपको, माता के दरबार।
करना सबके साथ में, माता की जय कार।।
धूप दीप हो हाथ में, पुष्पांजलि हो साथ।
भांग धतूरा चाहते, भोले शंभू नाथ ।।
इस जग में हरदेव की, होती जयजयकार।
मानव से करना यहाँ , आप मृदुल व्यवहार ।।
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Tuesday, 19 February 2019
गीत , बगिया के फूलों से "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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किया
सिंगार धरती ने मेरी बगिया के फूलों से।
लिखुगी नाम अब तेरा मेरी बगिया के फूलों से।।
चढ़ाया फूल है मैंने सदा भगवान के दर पर।
नहीं रोशन हुई ज्योति मेरी बगिया के फूलों से।।
बनाकर फूल की माला शहीदो पर चढाऊंगी ।
सजेगी अर्थीयां उनकी
मेरी बगिया के फूलों से।।
हमारी राह से कांटे हटाकर फूल ही बोये।
सजाऊंगी मैं राहों को मेरी बगिया के फूलों से।।
सुमन श्रद्धा के दे दूंगी वतन के इन शहीदों को।
सभी सम्मान पाएंगे मेरी बगिया के फूलों से।।
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Monday, 18 February 2019
जवानों की शहादत "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
भिगोकर खून से वर्दी कहानी लिख गए हैं वो।
नहीं देखी किसी ने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
फ़हरा कर तिरंगे को सदा वो मुस्कुराते थे।
वतन को दे रहे खुशियां रवानी लिख गए हैं वो।।
नहीं देखी किसी ने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
सरहद पर दिया उनने दिवस और रात में पहरा ।
गर्मी शीत की रातें सुहानी लिख गए हैं वो।।
नही देखी किसी ने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
दुखी होता है मन सबका जवानों की शहादत से ।
मगर फिर भी शहादत को रुहानी लिख गए हैं वो।।
नही देखी किसीने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
करेंगे गर्व इन पर हम हमेशा ही जमाने में।
वतन की रेत पर अपनी निशानी लिख गए हैं वो।।
नही देखी किसीने जो जवानी लिख गए हैं वो।।
कहे राधा जमाने में नहीं कोई शहीदों सा।
वतन के नाम अपनी नौजवानी लिख गए हैं वो ।।
नही देखी किसीने जो जवानी लिख गए हैं वो।
भिगो कर खून से वर्दी कहानी लिख गए हैं वो।।
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