नजरें भर कर देखते, हम को बारंबार ।।
नजरो से नजरे मिली, बढा आपसी प्यार।
नजर चुरा जब वो गए, बदल गया व्यवहार।।
नजरों में रखते हमें ,अब तो वह दिन रैन।
किसने चोरी कर लिया, मेरे दिल का चैन।।
जब अखियाँ करने लगी, नैनों में ही बात ।
रहते लब खामोश है, समझो तुम जज्बात।।
स्वप्न सलोने आ रहे, रातों में हर बार ।
आते जाते राह में, हम खोए शत बार।।
हमको घायल कर दिया, दे नजरों के तीर।
कितने अच्छे लग रहे, राम लखन से वीर ।।
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Saturday, 23 February 2019
दोहे, " उनसे जब नजरे मिली " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
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