Thursday, 23 April 2020

कुण्डलियाँ , " उपवन " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),

  उपवन 
उपवन में मेरे खिले, रंग-बिरंगे फूल।
 मैं तो उनकी राह से, सदा हटाती शूल।

 सदा हटाती शूल, वही मेरी फुलवारी।
 उनसे ही तो मिले, जगत की खुशियाँ सारी।

कह राधेगोपाल, युगल स्वाती से मधुवन।
 खुशियों से भर जाय, सदा सबका ही उपवन

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर।
    विश्व पुस्तक दिवस की बधाई हो।

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