Tuesday, 28 April 2020

राधे के दोहे , दोहे " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ),


राधे के दोहे 
1 रूप
राधा को मोहे सदा,मोहन का ही रूप।
जग को अच्छा लग रहा, उनका रूप अनूप।।

2. सौन्दर्य
सीता के सौंदर्य को, सखियाँ देती मान।
मन सबका पुलकित हुआ,फूल बने हैं शान।।

3.चीर
याद किया जब कृष्ण को, बढ़ा चीर पे चीर।
 हरते हैं भगवान तो, जग में सबकी पीर।।

4.तनुजा
तनुजा होती शान है, मात-पिता की जान।
काम गजब करती यहाँ, पाती सब का मान।।

5.स्वप्न
स्वप्न सलोने देखती,राधा दिन अरु रात।
करती मोहन से सदा, मीठी मीठी बात।।

6.किरीट
दिख रहा है किरीट सा, हमको चारों धाम।
राधा को मोहन लगे, सबसे प्यारा नाम।।

7.कालिंदी
कालिंदी में दिख रहा,हमें कालिया नाग।
नमन करो उनको सदा, मत जाना तुम भाग।।

8.अक्षय
अक्षय मेरे लाल हो, वर देना भगवान।
 मोहन को जग में मिले, हरदम सबका मान।।

9.मादक
मादक चीजों से सदा, करना तुम परहेज।
अपने जीवन को रखो, हरदम यहाँ सहेज।।

10. अंजन
अंजन के जैसे रहे, नैनों में गोपाल।
राधा अपने साथ में,रखती अपना लाल।।


1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को   "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं"  (चर्चा अंक-3686)     पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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    कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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