"कल्याण करो माँ"
हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी, माँ
मुझमें तुम ज्ञान भरो
तिमिर नाश मन का करके माँ ,मेरा
भी कल्याण करो।
क्रोध मोह माया को माता, तुम
ही तो हर सकती हो।
शरण तुम्हारी आई हूँ मैं, ज्ञान
पुंज भर सकती हो।
हे माँ हंस सवारी माता, कष्टों
को तुम सभी हरो।
तिमिर नाश मन का करके माँ ,मेरा
भी कल्याण करो।।
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सार्थक वन्दना
ReplyDeleteआभार जी
Deleteआप तो किसी के ब्लॉग पर कमेंट करते नहीं हो।
ReplyDeleteफिर आपकी पोस्ट पर पाठक लोग क्यों कमेंट करेंगे?
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3687 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
धन्यवाद विर्क जी
Deleteवाह ! लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
आभार बहिना
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