Tuesday, 18 February 2020

कुंडलियां , " आया " (राधा तिवारी " राधेगोपाल " ),


 आया 

आया है अब बाग में, शीतल मृदुल बसंत।
 मेरे तो परदेस को, गए हुए हैं कंत।
 गए हुए हैं कंत, न जाने कब आएंगे।
 मुझको ये मधुमास  सखी कैसे भाएंगे।
कह राधेगोपाल, मुझे तो कुछ ना भाया।
 शीतल मृदुल बसंत, धरा पर जब से आया।।

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