बैठ डाल पर आम की, कोयल गाती राग। कोयल गाती राग, भ्रमर तितली भी डोले। आओ रस लो बाँट, मधुमक्खी भी बोले। कह राधेगोपाल, पथिक को शूल मिले हैं। आओ देखो बाग, डाल में फूल खिले हैं।
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है...... आप की इस रचना का लिंक भी...... 25/02/2020 मंगलवार को...... पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर..... शामिल किया गया है..... आप भी इस हलचल में. ..... सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक: http s://www.halchalwith5links.blogspot.com धन्यवाद
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-02-2020) को "डर लगता है" (चर्चा अंक-3623) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
25/02/2020 मंगलवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
आभार आदरणीय
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-02-2020) को "डर लगता है" (चर्चा अंक-3623) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद आदरणीय
Deleteबेहद खूबसूरत 👌
ReplyDeleteआभार सखी
Deleteसखी आपके विचार से लेखनी को बल मिला
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