Wednesday, 17 April 2019

कविता. " जीवन नैया " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 जीवन नैया

 तुम कान्हा हो मैं हूँ राधा।
 मेरा जीवन तुम बिन आधा।।

 दूर अगर  चाहोगे जाना।
 फिर मुश्किल है हम को पाना ।।

बंधी तुम्हीं से जीवन डोर ।
खींच रही जो तेरी ओर।।

 तुमसे जीवन में उजियारा ।
चहूं ओर तुम बिन अंधियारा ।।

तुमसे मेरी जीवन नैया।
 तुम बन बैठे हो खेवैया ।।
तुम राधा के तारणहार ।
कर दो कान्हा भव से पार।।

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (18-04-2019) को "कवच की समीक्षा" (चर्चा अंक-3309) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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