Friday, 19 April 2019

कविता, बगिया के मालिक राधा तिवारी "राधेगोपाल "


बगिया के मालिक
पत्थर ईट सीमेंट से मिलकर
 खड़ी करी दीवार कई
सख्त बहुत होती वह लकड़ी
 जिससे चौकट बनी भई

और बड़ा सा एक है आंगन
 जिसमें रसोई और शौचालय है
 चिमनी ओरी और धरा से
 बना हुआ ये आलय है

 अब मेरे घर को तुम देखो
जिसमें हम सब रहते हैं
 प्यार बांटते एक दूजे को
 सुख दुख सबके सहते हैं

 मात-पिता
 हम बगिया के फूल है
हमसे है घर में उजियारा
 लड़ना सदा फिजूल है

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