Wednesday, 24 April 2019

कविता, मैं चंदा तू मेरी चकोरी ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


  मैं चंदा तू मेरी चकोरी
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राधे की बिंदी और पायल।
 कान्हा को करती है घायल।।

 क्यों इनको तुम झनकाती हो।
 मंद मंद क्यों मुस्कुराती हो।।

 तेरी मेरी प्रीत पुरानी ।
कभी ना कहना इसे कहानी।।

 तुमने कि इस दिल की चोरी।
 मैं चंदा तू मेरी चकोरी।।

 पास मेरे तुम सदा ही रहना।
 सुख दुख अपने हमको कहना।।

 मेरे दिल में रहती हो तुम ।
मुझको अच्छी लगती हो तुम।।

 तुममें मैं हूँ मुझ में तुम हो ।
फिर जाने क्यों तुम गुमसुम हो।।

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (25-04-2019) को "एक दिमाग करोड़ों लगाम" (चर्चा अंक-3316) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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