कागज की नाव
![]() बारिश की रुत बड़ी सुहानी आसमान से बरसा पानी मेंढक टर्र टर्र टर्र चिल्लाए अपना अभिनव राग सुनाएं भरे हुए हैं ताल-तलैया मेंढक करते ता ता थैया भरे हुए हैं गड्डे नाली चारों ओर बिछी हरियाली कागज की एक नाव बनाओ गड्ढों में उसको तैराओ |
Friday, 6 July 2018
बाल कविता "कागज की नाव" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Thursday, 5 July 2018
बाल कविता "बारिश " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
बारिश
टपक रहा है टपटप पानी
याद आ रही मुझको नानी
गरमा गरम पकोड़े लाती
हमें प्यार से सदा खिलाती
रंगबिरंगा छाता लेकर
इधर-उधर नानी है जाती
नानाजी को चाय पिलाती
अदरक उसमें सदा मिलाती
ठंडी से है हमें बचाती
रोज सुनाती एक कहानी
टपक रहा है टपटप पानी
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Wednesday, 4 July 2018
दोहे " वसुंधरा की शान " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
प्राणवायु
देते हमें, जीवन का वरदानll
सूरज ने
दिखला दिया, गर्माहट का जोशl
देख
गर्म वातावरण, उड़ जाते हैं होशll
तिनका
तिनका जोड़कर, पंछी बुनते नीड़l
गर्मी
उतनी बढ़ रही, जितनी बढ़ती भीड़ll
ऊंचे
ऊंचे शैल हैं, इस धरती की शानl
जड़ी
बूटी देते हमें, पर्वत है भगवानll
नील गगन
में उड़ रहा, खग होकर बेचैन।
रहता
सुख की खोज में, वह पंछी दिन रैन।।
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Tuesday, 3 July 2018
वादे ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
वादे
जो वादे उन्होंने कभी किये थे चांदनी रात में हमसे l
उन वादों को तोड़ कर वे जा रहे हैं दूर आज हमसे ll
नदिया किनारे शाम ढले रोज़ मिलते थे हमसे l
तुम तो सिर्फ मेरी हो , सदा यही कहते थे हमसे ll
न जाने क्यों अब कुछ खफा रहने लगे हैं हमसे l
कि अब तो सदा दूर ही रहा करते हैं हमसे ll
वे तो प्यार करते थे हमे अपनी दिलों जान से l
आज छोड़ गए ऐसे ज्यों छोड़ा हो तीर कमान से ll
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Monday, 2 July 2018
"कहती है राधे गोपाल" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
प्यार और सम्मान
कभी रूप की धूप है सौपीं
कभी कदम कदम पर घास
कभी मनोबल ऊँचा करके
जगाई कविता लिखने की आस
कोमल वाणी है आपकी
हँसता गाता बचपन
सुख का सूरज सदा ही चमके
उम्र भले हो पचपन
प्यार और सम्मान आपका
कभी भूल नहीं पायेंगे
आपके सानिध्य में रह कर
मधुर सुमन महक जायेंगे
सूरज दिन को लेकर आता
मन मेरा भी हँसता गाता
मयंक चमकता रातों में
तब रस आता है बातों में
मन है कितना विपुल विशाल
कहती है " राधे गोपाल "
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Sunday, 1 July 2018
दोहे "पूजा घर" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
पूजा घर
पूजा घर तो है यहां, सारे एक समान l
लेकिन ईश्वर को यहाँ, बांट रहा नादान ll
अद्भुत होती है सदा, जग की देखो रीत l
अपना तो कोई नहीं, लेकिन सबसे प्रीत ll
जब जनमें इंसान सब, दिखते एक समान l
कुछ में तो शैतान है, कुछ में है इंसान ll
सुख में भुला न दीजिये, निज मन से भगवान l
दुख में करना चाहिए, ईश्वर का गुणगान ll
सभी जगह रहते स्वयं, राम और रहमान l
सबके दिल में है बसे, देखो परम निधान ll
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