Sunday, 31 October 2021

राधा तिवारी "राधेगोपाल" , आँसू , "दोहे"

 





आँसू* 

आँसू आँखों से बहेभीगे कोमल गाल। 
टपक रही हर बूँद हीकरती रही कमाल।।1।।

आँसू आ कर खोलतेमन के सारे भेद। 
लब चुप रहकर कर रहेअब तो केवल खेद।।2।। 

किससे मैं जाकर कहूँअपने मन की बात।
आँसू ने ही छीन लीसबसे यह सौगात।।3।। 

आँखों से बहती रहीआज अश्रु की धार। 
पलकों का भी भीग करहुआ आज उद्धार।।4।।

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