आँसू* आँसू आँखों से बहे, भीगे कोमल गाल। टपक रही हर बूँद ही, करती रही कमाल।।1।। आँसू आ कर खोलते, मन के सारे भेद। लब चुप रहकर कर रहे, अब तो केवल खेद।।2।। किससे मैं जाकर कहूँ, अपने मन की बात। आँसू ने ही छीन ली, सबसे यह सौगात।।3।। आँखों से बहती रही, आज अश्रु की धार। पलकों का भी भीग कर, हुआ आज उद्धार।।4।। |
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