परम पूजनीय गुरुदेव जी द्वारा प्रदत "राधेगोपाल छंद की 11/ 11" की मापनी पर आधारित यह नया छंद *युगल छंद* युगल छंद ■ युगल छंद का शिल्प विधान ■ वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,6 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,11 मात्राओं का निर्धारण 6, 6 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए 222 212 222 212 मगण रगण मगण रगण *युगल छंद का उदाहरण* 222 212 222 212 युगल छंद 222 212 222 212 वह तो है आपकी ,मन की है मानता। बातें सुनता रहा ,सब कुछ पहचानता।। अपने ही मीत को ,आकर कुछ तो कहो। जाएगा रोग तो, कुछ दिन इसको सहो।। थकना मत आप तो ,जाएगा बीत ये। आना जाना सदा ,है जग की रीत ये।। सांँसे घटती रही, बढ़ती है आस तो। देवों को जान लो, अपने ही पास तो।। माता देती दुआ, सब कुछ तो है मिला। घर में जो रह रहा ,उसका मन भी खिला।। दरवाजा बोलता, ताले को डाल दो। जाना अब तो कहीं ,कुछ दिन को टाल दो।। सुन मेरी बात को ,वह तो हंँसता रहा। अपने ही जाल में ,वह तो फँसता रहा।। सहती जो पीर है ,अपनी तकदीर है । अब हमको दिख रही ,कैसी तस्वीर है।। धीरज रखना सभी, जाएगा काल ये। मुश्किल से है भरा , आया जो साल ये।। राधा तुम भी रहो ,अपने निज धाम में। मस्ती में चूर हो ,अपने ही काम में।। राधा तिवारी "राधेगोपाल" एल टी अंग्रेजी अध्यापिका खटीमा,उधम सिंह नगर उत्तराखंड |
युगल छंद
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