Friday 29 October 2021

राधा तिवारी "राधेगोपाल", दोहे, (सूरज फिर से झाँकता)

 






दोहे, (सूरज फिर से झाँकता) 

दाँया बाँया देखकर, सड़क कीजिए पार 
रहो सुरक्षित आप तब ,खुशियाँ मिले हजार

वाहन लेकर के चलो, कभी नहीं तुम तेज
 हेलमेट लेने से नहीं ,करना कभी गुरेज

सूरज फिर से झाँकताले बादल की ओट।
मन में उसके है नही , थोडा सा भी खोट 

रघुवर जैसा जगत मेंकोई नहीं है मित्र।
 उनका तो दिखता सदायुगो तक चित चरित्र।।

मेघ गर्जना कर रहेहै वीरों के बाण ।
न्योछावर अब हो रहेदेखो कितने प्राण।।

युद्ध भूमि को देखकरकरो नहीं तुम शोक।
इस क्षण को तो कभीकोई सका ना रोक।।

रावण ने हरदम कियाछल बल से ही काम।
 अभिमानी में इसीलिएहोता उसका नाम।।

मंडराता सब पर सदायुद्ध भूमि में काल।
दुश्मन तो हरदम चलेनई-नई सी चाल।।

 होता है जब सूर्यास्तबजता है  तब शंख।
 युद्ध भूमि में अब नहींहिल सकता है पंख।।

युद्ध क्षेत्र में तो सभीहोते हैं रणधीर।
 कोई बचा कोई मरा ,पर दोनों है वीर।।

क्षमा दया से मिल रहा,सबको ही सम्मान।
क्रोध घृणा तो कर रहासभी जगह अपमान।।

रावण का भी तो नहींरहा यहां अभिमान।
 अंत समय उसका कियासबने ही अपमान।।

दंभ घमंडी का हुआदेखो चकना चूर।
 शरण प्रभु की आ गयाहो करके मजबूर।।

युद्ध भूमि में हो रहीतीरों की बरसात।
 तीरों से ही कर रहेदेखो सब ही बात।।

आज विभीषण खोलतादेखो सब के भेद।
 जिस थाली में खा रहाउसमें करता छेद।।

लालच अच्छा है नहींकहते वेद पुराण ।
लालच के ही फेर मेंजाते कितने प्राण।।

जनक नंदिनी ने लियातिनके का ही ओट।
गर्भ घमंडी का नहींपहुँचा पाया चोट।।

भाई के स्पर्श को ,समझ रहे हैं राम ।
लक्ष्मण सेवक बन करेउनके सारे काम।।

 कांड कभी होता नहींलंका का हे राम।
 लक्ष्मण ऐसा बोलकरलेते हरि का नाम।।

हरी हृदय में बस रहे डरो नहीं फिर आप ।
ईश्वर ही हरते सदासबके ही संताप।।

डरो नहीं तुम है मनुजदेख समय की बात ।
सुबह सुहानी आएगीछट कर काली रात।।

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