ईद मुबारक
चाहे तुम गीता पढ़ो, चाहे पढ़ो कुरान।
दोनों ही बतला रहे, बने रहो इंसान।।
आपस में मिलकर रहो, कहता संत समाज।
सब हिंदू पूजा करो, मुस्लिम पढ़ो नमाज।।
अब्दुल मेले में गया, चिमटा लिया खरीद।
अम्मा बेटा प्यार से, मना रहे हैं ईद।।
खुशियांँ सबको बाँटते, पर्व और त्योहार।
ईद मिलन से हो रहे, घर आंगन गुलजार।।
ईद मुबारक कह रहे, मिलकर सारे लोग।
दुनिया में अलगाव का, फैले कहीं न रोग।।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-06-2019) को "हमारा परिवेश" (चर्चा अंक- 3359) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'