दीपोत्सव
शिव जी ने पूरी करी, सबके मन की आस ।
आता श्रावण मास में, पर्व हरेला खास।।
जन्मदिवस सरदार
का, मना रहा जग आज।
लौह पुरुष इनको कहे, पूरा देश समाज।।
लोह शस्त्रों टन लगा, प्रतिमा है अभिराम।
विश्व पटल पर हो गया, भारत का भी नाम।।
मना रहा दीपोत्सव, पूरा भारत देश।
झिलमिल के दीपक करें ,रोशन अब परिवेश।।
जल का संचय कीजिए, करना जल का पान।
जल होता अनमोल है, जल को
जीवन जान।।
जीवन के हर राह में ,साथ निभाती नार।
बनकर दुर्गा वो करें, जीवन नैया पार ।।
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Wednesday, 7 November 2018
दोहे " दीपोत्सव" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Tuesday, 6 November 2018
दोहे "नरकासुर का नाश" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
मेरे कष्टों को हरो, राम भक्त हनुमान।
कहकर सब जन कर रहे, गंगा में स्नान।।
श्री कृष्ण ने कर दिया, नरकासुर का नाश।
मुक्त किए बंधक सभी, खोले उनके पाश।।
नरकासुर की मौत थी, नारी के ही हाथ।
सतभामा ने था दिया, श्रीकृष्ण का साथ।।
बनी सारथी कृष्ण की, बंधक मुक्त कराय।
अब जग में कैसे रहे, ऐसे
करो उपाय।।
कृष्णपक्ष के अन्त में, आया कातिक
मास।,
छोटी दीवाली तभी, मना
रहा संसार।।
तन पर तेल लगाय कर ,करो नित्य स्नान।
मुक्त नर्क से होइये, करके कुछ शुभ दान।।
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गीत " गंगा यमुना सरयू का तट" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
चीनी लड़ियां छोड़ वहाँ माटी के दीए जलाएंगे।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के होते हैं पर्व बहुत।
होली ईद और दीवाली मिलकर साथ मनाएंगे।।
गांव शहर में दिखलाते हैं कलाकार कितने करतब।
सर्कस ,मेला और नुमाइश जगह-जगह लगवाएंगे।।
गंगा यमुना सरयू का तट लगता कितना मनभावन।
मात- पिता को ले जाकर हम तीरथ यहाँ कराएंगे।।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों की भारत में भरमार है।
रामराज्य लाकर के राधे पावन इसे बनाएंगे।।
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Monday, 5 November 2018
दोहे, "वृक्षों से मिलती हमें, ठंडी ठंडी छांव" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
स्वच्छ अगर परिवेश हो ,स्वस्थ रहे को जान।।
वर्षा के जल का करो, जीवन में उपयोग ।
गड्ढों में गर जल रहे, पैदा होते रोग।।
थोड़े से बच्चे करें ,उन्नति में सहयोग।
कागज गत्तों से करें, अपने यहाँ प्रयोग ।।
अस्पताल दिखता यहाँ , सफल है नगरा गांव।
हरे भरे परिवेश की, मिली हमको छावं।।
जल से सींचो पौध को, कर लो तुम व्यायाम ।
पढ़ने के संग खेल का ,है अपना आयाम ।।
वृक्षों से मिलती हमें, ठंडी ठंडी छांव।
मरहम यही लगा रहे, जब घायल हो पाँव ।।
पेड़ कभी ना काटना, मत लेना तुम दाम ।
वरना तो जल जाएगा, तेरा कोमल चाम।।
जल ही तो अनमोल है ,जल में सबकी जान ।
आते हैं जल के बिना, जीवन में व्यवधान।।
जीवन दाता पेड़ है, करते हैं उपकार।
पेड़ मनुज को दे रहे ,कुदरत का उपहार ।।
साफ सफाई में करो, सब अपना सहयोग ।
हरती सब की स्वच्छता, फैल रहे जो रोग।।
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