जिसको भी दूर देखो वो ही
करीब हैll
राहों में पहले उनसे मुलाकात होती हैl
फिर चुपके चुपके से कुछ बात होती हैll
मिलना बिछड़ना उनका कोई तरकीब हैl
जिसको भी दूर देखो वो ही करीब हैll
होता है दुश्मन इन का सारा जमानाl
बहानों से इनको तो मिलने को है आनाll
दोनों ही आपस में रब और रकीब हैl
जिसको भी दूर देखो वो ही
करीब है ll
बनाता है जोड़ा तो ईश्वर सभी का l
नहीं देखता फर्क को
अजनबी का ll
मिले जिनको चाहत वही खुशनसीब है l
जिसको भी दूर देखो वो ही करीब
है ll
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Monday, 29 October 2018
गीत "वो ही करीब है"( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Sunday, 28 October 2018
ग़ज़ल " भूखा पेट " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
भूखा पेट
एक नन्हा सा दिया तम को मिटाने आ गया।
एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
भूख से बेहाल काया दिख रही उसकी यहाँ।
हाल अपनी मुफलिसी( गरीबी) का वो दिखाने आ गया।।
एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
दिनदहाड़े लूट लेते हैं यहाँ राहगीर को ।
यहां अब अस्वाब सामान अपना ही लुटाने आ गया।।
एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
लाचार है इतना मुसाफिर कर ये कुछ सकता नहीं।
पाव अपना हर डगर पर यह बढ़ाने आ गया।।
एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
मिट नहीं सकती है किसी के भाग्य की रेखा कभी ।
बना चुके हैं जो निशां उनको मिटाने आ गया।।
एक भूखा पेट अब कूड़ा उठाने आ गया ।।
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Saturday, 27 October 2018
ग़ज़ल " अंधेरे में मकड़ी के जाले पड़ेंगे" ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
अंधेरे में मकड़ी के जाले पड़ेंगे
रंग जब तक दिलों के ये काले पड़ेंगे
जबानों में तब तक ही ताले पड़ेंगे
अगर रखना है तुमको रिश्ता को कायम
खाने जहर के निवाले पड़ेंगे
दिया रात को कैसे रोशन करेगा
अंधेरे में मकड़ी के जाले पड़ेंगे
खिलाओगे जग को यहां भोज कैसे
अगर खुद को रोटी के लाले पड़ेंगे
मंजिल को ऐसे ही पाओगे कैसे
पैरों में जब तक ना छाले पड़ेंगे
अपने पराए में मतभेद होंगे
तो जीवन में गम के ही नाले पड़ेंगे
यही रीत सदियों से है इस जहां की
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Friday, 26 October 2018
दोहे "करवा की पूजा करो" (राधा तिवारी 'राधेगोपाल')
करवा की पूजा करो, माँ का करके
ध्यान।
दूध
दही देकर करें, माता जी अहसान।।
श्रृंगारिक
गहने हमें, देती माता सास।
बेटे
की लम्बी उमर, की माँ रखती आस।।
तेरह
दाने अन्न के, लेकर करना
ध्यान।
कर
लेना संकल्प को, इसे जरूरी जान।।
कुमकुम
हल्दी से करो, देवी माँ का
ध्यान।
गेहूँ
चावल से करो, पूरा सभी विधान।।
पूए-पूड़ी
लो बना, और
बनाओ खीर।
करवा
माता आपकी, दूर करेगी
पीर।।
चन्दा
धरती पर बना, कर लो पूजा आप।
करवा
पर टीका लगा, कर
लो उसका जाप।।
गणपति-गौरी की करें, पूजा सारी नार।
पूजा
के नैवेद्य से, माता
करती प्यार।।
मुक्तक गीत" संतों की वाणी "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
मुक्तक गीत
संतों की वाणी
भरी महफिल में बैठोगे तो महफिल रास आएगी
कदम जब भी बढ़ाओगे तो मंजिल पास आएगी
पहाड़ों से
निकलकर नीर खुद ही राह बनाता है
उसे जो मिल गया साथी उसे संग में ले जाता है
बहे मैदान में वो साथ लेकर के कई पत्थर
बहेगा नीर जंगल से तो औषध साथ आएगी
कदम जब भी बढाओगे तो मंज़िल पास आएगी
सुना है संत जन करते सदा ही धर्म की रक्षा
ज़माने को सिखाते हैं वही तो वेद की शिक्षा
करो तन मन व धन से तुम सदा ही संत की सेवा
इन्हीं संतों की वाणी तो यहाँ
गंगा बहाएगी
कदम जब भी बढ़ आओगे तो मंजिल पास आएगी
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