Tuesday, 20 September 2022

राधा तिवारी राधेगोपाल , गौरव छंद का शिल्प विधान

 




परम पूजनीय गुरुदेव जी द्वारा प्रदत "राधेगोपाल छंद की मापनी पर आधारित यह नया छंद *गौरव छंद*



गौरव छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। विसम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए

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मगण रगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)

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हमको आके बता, बातों ही बात में कभी।
क्या है कोई खता,तू तो हरदम कहे यही।।

जाने रहते कहाँ, ओ मेरे देव तुम सभी ।
सबने ढूंँढा वहांँ,दिखते तुम तो नहीं कहीं।।

अब तो ये जिंदगी,किसको राधे भला फली।
लुप्त होती बंदगी, सबकी ही तो गई 

Monday, 19 September 2022

राधा तिवारी राधेगोपाल , राधे के अनमोल दोहे

 





राधे के अनमोल दोहे  



 सूर्य किरण को देखकर, खिल जाता है गात।
 मन भावन सब को लगे, सुंदर सुखद प्रभात।।

 मूंगफली और गुड़ करे,तन मन को मजबूत।
 शीत दूर करते यही, इसके बहुत सबूत।।

 धर्म कभी मत पूछना, कभी न पूछो जात।
 जग में सबसे तुम करो, इंसानो सी बात।।

  माँ  के जैसा है नहीं, जग में कोई और।
 माँ  की ममता की तरह, कहीं न मिलता ठौर।।

कुछ खेतों की जब पकी, फसल हुई तब नष्ट।
सोचो कितना हो रहा, है किसान को कष्ट।।

खाना पीना छोड़ कर, किया रात दिन काम।
श्वेद बहाया धूप में, किया नहीं आराम।।

आग कभी दुश्मन बनी, कभी बन गई मीत।
दुख देती है ग्रीष्म में, अच्छी लगती शीत।।

गेहूँ का भूसा जला, सारा जला अनाज।
आग बुझाने में लगा, देखो सकल समाज।।

जली फसल जब खेत में, कृषक हुआ गमगीन।
दोषी इसमें कौन है, बात बड़ी संगीन।।

दया करो अब सूर्य तुम, कुछ कम कर दो ताप।
जग की भव बाधा हरो, जगत नियंता आप।।

राधे कहती ईश से, करदेना उपकार।
भरा रहे हर धाम में, सबका ही भंडार

छोटी चिड़िया ढूँढती,ऊँचे ऊँचे वृक्ष ।
नीड़ बनाने मैं बयां, होती सबसे दक्ष।।

राधा तिवारी राधेगोपाल , राधे के अनमोल दोहे

 



राधे के अनमोल दोहे 

गुरुवर उनको डांटते, जिनसे करते प्यार।
उन्हें न मिलता ज्ञान है, जो होते मक्कार।।

होंठो  पर बंसी लगा, बजा रहे घनश्याम।
ग्वाल बाल के हैं सखा, राधे के है श्याम।।

बाँह थाम कर कृष्ण की, जग हो जाए पार।
जगत नियंता ही सदा, होते खेवन हार।।

होती है  जिसकी गरज, वह बन जाता खास।।
वरना पूरे विश्व में, मेला रहे उदास।।

 रिश्तो से करना यहाँ, कभी नहीं खिलवाड़।
 मात-पिता करते सदा, बच्चों को ही लाड़।।

 रखना मन में प्रेम को, जिसमें है विज्ञान।
 जगत बना है प्रेम से, इतना लेना जान।।

 सदा निभाओ प्रेम को, प्रेम जगत की रीत।
 जीवन में  करते रहो, सब जीवों से प्रीत।।

 जाहिर होता है वही, जैसी जिसकी सोच।
 सच को कहने में कभी, मत करना संकोच।।

 उन स मैं जब से मिली, हुआ प्रफुल्लित अंग।
 मेरा तन-मन खिल उठा,पाकर उनका संग।।

 दूर नहीं जाना कहीं, रहना हरदम पास।
 बिना आपके हैं नहीं, जीने की कुछ आस।।

राधा तिवारी राधेगोपाल , बाल कविता , मोटू पतलू

 



 मोटू पतलू 

 मोटू पतलू भाई दो
 जाने क्यों रो रहे हैं वो
 मोटू कहता खाता जाऊँ 
भूख लगे तो सो नही पाँऊ
 पतलू को आया जब गुस्सा
 उसने मारा उसको घुसा
 गुस्से से हुई आंखें लाल
बदल गई पतलू की चाल
माँ नें तब आवाज लगाई
 अंदर आए दोनो भाई
 माँ ने उनको तब समझाया
 आपस का सब बैर भुलाया
 आपस में  हो भाई दो
लड़ कर यूं  बचपन  मत खो

राधा तिवारी राधेगोपाल , राधेगोपाल छंद


गुरुदेव परम पूज्य "संजय कौशिक विज्ञात जी" का आशीर्वाद 


राधेगोपाल छंद 

■ राधेगोपाल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए

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मगण रगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)



🙏



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गुरुदेव संजय कौशिक  विज्ञात जी द्वारा बनाए गए 106 नूतन छंदों में एक छंद "राधेगोपाल छंद" हमे भी आशीर्वाद के रूप में मिला 
आप सदा अपनी छत्र छाया में रखें 
आप दीर्घायु रहें  




 

राधा तिवारी राधेगोपाल , ■ गोपाल छंद का शिल्प विधान ■

 




परम पूजनीय गुरुदेव जी द्वारा प्रदत "राधेगोपाल छंद की 14/ 14" की मापनी पर आधारित यह नया छंद *गोपाल छंद*
🙏

गोपाल छंद 

■ गोपाल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 8,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 14,14 मात्राओं का निर्धारण 8, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए

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मगण रगण लघु गुरु (लगा)

मगण रगण लघु गुरु (लगा)

*गोपाल छंद का उदाहरण*

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क्या क्या है जानता अभी, आजा कुछ तो मुझे बता।
मुश्किल के दौर में यहांँ, मेरी भी तो बता खता।।

श्वाँसे पावन लगी हमें, दौर अनोखा यहांँ मिला।
फल फूलों से लदे मिले, महका उपवन सदा खिला।।

पुरवाई जो यहांँ चली, जाकर रुकती कभी कहांँ।
राधा हरदम दिखा रही, खुशियों से ही भरा जहाँ।।

देना हमदम कभी नहीं, दुख गम हमने सहे नहीं।
सुनते गोपाल भी यही, मन की बातें  कहे कहीं।।

सुख की हरदम नदी बही, आकर देखो चलें वहीं।
गंगा के तट चलें चलो, दीपक अनगिन जलें कहीं।।

राधा तिवारी 
"राधेगोपाल"
एल टी अंग्रेजी अध्यापिका
 खटीमा,उधम सिंह नगर
 उत्तराखंड

राधा तिवारी "राधेगोपाल", "गीत" , कमल नयन



विषय गीत

कमल नयन छूकर कमल मंद मंद मुस्काती है
बैठ नदी के बीच कमल को देख अरे इठलाती है

 नई नवेली नार सोचती है मन में 
इतना सुंदर फूल बसा है नैनन में 
तितली तो रसपान इसी का करती है 
देख देख के नार आह ये भरती है।।

कोमल पंखुड़ियों को बैठीचंद्रबदिनि सहलाती है।
बैठ नदी के बीच कमल को देख अरे इठलाती है।।

अपने सपनो को वह पंख लगा बैठी।
वह आकंठ उन्ही सपनो मे जा पैठी।।
तितली उसकी सखियाँ भौंरे मीत बने।
हृद स्पंदन स्वर उसके मृदु गीत बने।।

सुघर कामिनी मृग नयनी निज पिय को आज बुलाती है।।
बैठ नदी के बीच कमल को देख अरे इठलाती है।।

राधा तिवारी"राधेगोपाल" 
खटीमा 
उधम सिंह नगर 
उत्तराखंड