Monday 19 September 2022

राधा तिवारी राधेगोपाल , राधे के अनमोल दोहे

 



राधे के अनमोल दोहे 

गुरुवर उनको डांटते, जिनसे करते प्यार।
उन्हें न मिलता ज्ञान है, जो होते मक्कार।।

होंठो  पर बंसी लगा, बजा रहे घनश्याम।
ग्वाल बाल के हैं सखा, राधे के है श्याम।।

बाँह थाम कर कृष्ण की, जग हो जाए पार।
जगत नियंता ही सदा, होते खेवन हार।।

होती है  जिसकी गरज, वह बन जाता खास।।
वरना पूरे विश्व में, मेला रहे उदास।।

 रिश्तो से करना यहाँ, कभी नहीं खिलवाड़।
 मात-पिता करते सदा, बच्चों को ही लाड़।।

 रखना मन में प्रेम को, जिसमें है विज्ञान।
 जगत बना है प्रेम से, इतना लेना जान।।

 सदा निभाओ प्रेम को, प्रेम जगत की रीत।
 जीवन में  करते रहो, सब जीवों से प्रीत।।

 जाहिर होता है वही, जैसी जिसकी सोच।
 सच को कहने में कभी, मत करना संकोच।।

 उन स मैं जब से मिली, हुआ प्रफुल्लित अंग।
 मेरा तन-मन खिल उठा,पाकर उनका संग।।

 दूर नहीं जाना कहीं, रहना हरदम पास।
 बिना आपके हैं नहीं, जीने की कुछ आस।।

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