परम पूजनीय गुरुदेव जी द्वारा प्रदत "राधेगोपाल छंद की 14/ 14" की मापनी पर आधारित यह नया छंद *गोपाल छंद* गोपाल छंद ■ गोपाल छंद का शिल्प विधान ■ वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 8,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 14,14 मात्राओं का निर्धारण 8, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए 222 212 12 222 212 12 मगण रगण लघु गुरु (लगा) मगण रगण लघु गुरु (लगा) *गोपाल छंद का उदाहरण* 222 212 12 222 212 12 क्या क्या है जानता अभी, आजा कुछ तो मुझे बता। मुश्किल के दौर में यहांँ, मेरी भी तो बता खता।। श्वाँसे पावन लगी हमें, दौर अनोखा यहांँ मिला। फल फूलों से लदे मिले, महका उपवन सदा खिला।। पुरवाई जो यहांँ चली, जाकर रुकती कभी कहांँ। राधा हरदम दिखा रही, खुशियों से ही भरा जहाँ।। देना हमदम कभी नहीं, दुख गम हमने सहे नहीं। सुनते गोपाल भी यही, मन की बातें कहे कहीं।। सुख की हरदम नदी बही, आकर देखो चलें वहीं। गंगा के तट चलें चलो, दीपक अनगिन जलें कहीं।। राधा तिवारी "राधेगोपाल" एल टी अंग्रेजी अध्यापिका खटीमा,उधम सिंह नगर उत्तराखंड |
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