Monday, 22 April 2019

बाल कविता, "रवी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


बाल कविता
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रवी तुम्हारा इंतजार ।
कर रहा सारा संसार।।
 लगते हो तुम सबको प्यारे।
 नभ मे हो तुम सबसे न्यारे।।
 आसमान में जब आते हो।
 धरा में किरणें बिखराते हो।।
 जो भी दर्श तुम्हारा पता ।
नई उर्जा तुमसे पाता ।।
पक्षी  कलरव करने लगते।
 इंसान तुमको देख कर जगते।।
 बीत गई अब काली रात।
 अब कर लो सब काम की बात।।

Saturday, 20 April 2019

कविता, " मात- पिता के ऋणी रहेंगे " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 मात- पिता के ऋणी रहेंगे
 मात- पिता के ऋणी रहेंगे।
 उनका आदर सदा करेंगे ।।

दुनिया है दिखलाइए हम को।
 लेकर मेरे सारे गम को।।

 अपनी दुनिया हमें बताया।
 हम को दे दी अपनी छाया ।।

बनकर के सबके भगवान ।
सबको देते जीवनदान।।

 अपने सारे दुख छिपाते।
पर हम पर खुशियां बरसाते ।।

नहीं सरिखा तुमसा जग में ।
फूल आप दिखलाते मग में ।।

राधा है अनुयाई हरदम ।
जीवन में मत देना गम।।

Friday, 19 April 2019

कविता, बगिया के मालिक राधा तिवारी "राधेगोपाल "


बगिया के मालिक
पत्थर ईट सीमेंट से मिलकर
 खड़ी करी दीवार कई
सख्त बहुत होती वह लकड़ी
 जिससे चौकट बनी भई

और बड़ा सा एक है आंगन
 जिसमें रसोई और शौचालय है
 चिमनी ओरी और धरा से
 बना हुआ ये आलय है

 अब मेरे घर को तुम देखो
जिसमें हम सब रहते हैं
 प्यार बांटते एक दूजे को
 सुख दुख सबके सहते हैं

 मात-पिता
 हम बगिया के फूल है
हमसे है घर में उजियारा
 लड़ना सदा फिजूल है

Wednesday, 17 April 2019

कविता. " जीवन नैया " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


 जीवन नैया

 तुम कान्हा हो मैं हूँ राधा।
 मेरा जीवन तुम बिन आधा।।

 दूर अगर  चाहोगे जाना।
 फिर मुश्किल है हम को पाना ।।

बंधी तुम्हीं से जीवन डोर ।
खींच रही जो तेरी ओर।।

 तुमसे जीवन में उजियारा ।
चहूं ओर तुम बिन अंधियारा ।।

तुमसे मेरी जीवन नैया।
 तुम बन बैठे हो खेवैया ।।
तुम राधा के तारणहार ।
कर दो कान्हा भव से पार।।

बाल कविता, " छोड़ो बिस्तर और रजाई " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


छोड़ो बिस्तर और रजाई
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जब नभ में सूरज है आता।
जाने कहाँ चन्द्र छिप जाता।
 पंछी छोड़ घोसलें आते।
 नभ में उड़ कर खुश हो जाते।।
 बच्चे भरते हैं किलकारी ।
वो लगती  है कितनी प्यारी ।।
नीरवता कुल रात समाई।
किन्तु धरा भी है मुसकाई।।
 माँ ने अब आवाज़ लगाई।.
छोड़ो बिस्तर और रजाई।
 दिन में करना पूरे काम।
 रातों को लेना विश्राम।।

Monday, 15 April 2019

कविता. " पंछी " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


पंछी 
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 उड़ने की शक्ति दे कर केपंछी एक बनाया है।
 सुंदर-सुंदर पंखों से फिरउसको खूब सजाया है।

 नील गगन में उड़ता है फैला कर के अपने पर
चिहुँक चिहुँक कर शोर मचाता वह पंछी तो स्वर भरकर

रङ्ग बिरंगा उड़ता पंछी सबके मन को भाया है
उसने प्यारी बोली से सबको खूब लुभाया है

 कभी बैठते छज्जों पर वो कभी हवा  में इठलाते
कभी वो उड़ते नील गगन में कभी धरा पर बल खाते

 उसने प्यारी बोली से सबको खूब लुभाया है
 उड़ने की शक्ति दे कर के पंछी एक बनाया है

 पिता बनाने एक घोंसला तिनके चुन चुन लाता है
अपनी  पैनी नजरों से दुश्मन को मार भगाता है

अंडे देकर माता ने सबसे उन्हें बचाया है
 उड़ने की शक्ति दे कर के पंछी एक बनाया है

 आंगन में आता जब पंछी हम सब खुश हो जाते हैं
बच्चे उनको  देख देखकर हरदम ही  हर्षाते हैं

 चलता फिरता एक खिलोने रब ने खूब रचाया है
 उड़ने की शक्ति दे कर के पंछी एक बनाया है

Monday, 1 April 2019

बाल कविता, " तितली " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )


बाल कविता
तितली
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 बगिया में आती है तितली
 हमको बहुत लुभाती तितली
 रंग बिरंगी प्यारी-प्यारी
 जिन से खिलती है फुलवारी
 रस लेती है फूलों से
 बचती है वह शूलों से