बंदर
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एक मदारी लाया बंदर
दिखता है वह मस्त कलंदर
सिर में उसके टोपी लाल
करता है वह बहुत धमाल
बच्चे उसके पास है आते
हंसकर उससे हाथ मिलाते
नाम है उसका गोपी चंदर
पर लगता वह मस्त कलंदर
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Saturday, 23 March 2019
बाल कविता, " बंदर " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
Friday, 22 March 2019
बाल कविता, " रंग बिरंगे फूल " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
बाल कविता
रंग बिरंगे फूल
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रंग बिरंगे पक्के कच्चे
फूल खिले हैं अच्छे-अच्छे
इन को किसने रंग डाला है
खुशबू दे करके पाला है
इनके संग में तितली आई
बच्चों को वह बहुत लुभाई
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Monday, 18 March 2019
गीत, पुल ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
पुल
पुल बनाया है नदी पर दिव्य और महान् है ।
फाइल है बता रही पुल वो आलीशान है।।
गिर रही बारिश की बूंदे भर गए जल स्रोत है।
आ रही है बाढ़ भू पर अब यही अनुमान है।
फाइल है बता रही पुल वो आलीशान है
खेत फसलों से भरे हैं हरियाली चंहु ओर है ।
अन्न कण न घर में पहुंचा कृषक भी हलकान है ।
फाइलें बता रही पुल वो आली शान है।
बोलते हैं सब जगत में हुई पैदावार है
खुश हुई सरकार लेकिन कृषक तो वीरान है
फाइल है बता रही पुल वो आली शान है
देखकर राधे यह मंजर आज कितनी है दुखी
चाह कर भी आ न पाती कोई मुस्कान है
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Wednesday, 6 March 2019
कविता, आंसू, ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
आंसू
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आंसू जब तक आंख में रहते कोई समझ नहीं पाता
सहन नहीं होती जब पीड़ा तब वो बाहर आता
नेत्र लाल जब हो जाते हैं सबको ये जतलाते
टपक के आंसू आंख से दिल के भेद सभी खुल जाते
दुख के आंसू खुशी के आंसू विस्मित हैं कर देते
टपक टपक गालों पर आते सब को तब दिख जाते
पल खुशियों से भरा जो आया तब भी बहते आंसू
दुखिया की पीड़ा को हरदम कहकर जाते आंसू
दबी हुई है जो भी दिल में बात बताते आकर |
Tuesday, 5 March 2019
दोहे, " महामृत्युंजय मंत्र " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
महामृत्युंजय मंत्र
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गंगा जल औ दूध से,देते शिव को धार।
मंदिर में भगवान के,हो जाता उद्धार।।
शिव गौरा के संग में, रहते नंदी नाग।
पशु पक्षी के साथ में, रखते वो अनुराग।।
निकल रही है शीश से, जिनके गंगा धार।
शिवजी सारे जगत के, जीवन के आधार।।
महामृत्युंजय मंत्र को, जपते हैं जो लोग।
दीर्घायु उनको मिले, दूर रहें सब रोग।।
गौरी पुत्र गणेश की, सबको जग में आस।
सफल कार्यों को करें, सबको है विश्वास।।
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Monday, 4 March 2019
बाल कविता, " उल्टा पकड़ा जो अखबार " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
उल्टा पकड़ा जो अखबार
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सड़क किनारे के ढाबे पर रखा हुआ था एक अखबार
देखकर मानस लगे सोचने पढूँ इसे मैं भी एक बार
उठा के उसको बैठ गए तन करके वह कुर्सी पर
पढ़ना उनको तनिक ना आया बैठे मूर्ति बन कर
कभी पलटते पन्नों को कभी देखते इधर उधर
पड़ा नहीं क्यों कर मैंने भी सोच सोच कर गए सिहर
तभी पास में बच्चा आकर बोला अंकल बतला दो
अखबार कहां से पढ़ना है इतना तो हमको समझा दो
अंकल झूठ दिखावा करके बनो नहीं अब तुम लाचार
पहले इसको सीधा कर लो उल्टा पकड़ा जो अखबार
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दोहे, "देवों के देव " ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
देवों के देव
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तांडव जब शिव ने किया, कांपे तीनो लोक।
जग में पूजा पाठ को, कोई न सकता रोक।।
सत्य अनादि अनंत हैं,
ब्रह्म रूप हैं जान।
शिव भक्तों की जगत में, रही अलग पहचान।।
देवों के भी देव हैं,शिव शंकर भगवान।
सच्चे मन से कीजिये,शिव शंभू का ध्यान।।
बेलपत्र ले हाथ में, गंगा जल ले साथ।
भक्तों के दिल में रहे, भोले शंभू नाथ।।
शिव मंदिर में भक्त की, लंबी लगी कतार।
दीं दुखी निर्बल सभी,आते उनके द्वार।।
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