- *आजादी*
विधा - दोहा छंद
*आजादी* फिर छीनता, एक विदेशी रोग।
बैठ गए अब धाम में,सकल विश्व के लोग।।1।।
*आजादी* से घूमना, मूरख की पहचान।
सुन लो जब तक जान है, सुंदर लगे जहान।।2।।
*आजादी* मत दो उसे, रखो कैद में रोग।
बचने को इस रोग से, करते रहना योग।।3।।
*आजादी* यदि चाहिए, रखना इतना ध्यान।
हाथ जोड़कर कीजिए, सबका ही सम्मान।।4।।
कोरोना अब खेलता,देखो कैसा खेल,
*आजादी* में खुद फिरे,मानव को दी जेल।।5।।
*राधा तिवारी"राधेगोपाल"*
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