Saturday, 15 December 2018

दोहे " इंसानों सेआस "( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



इंसानों सेआस
 पशुओं को होती सदाइंसानों सेआस।
 इंसानों के साथ रहहोते नहीं उदास।।

 शोर मचाते वे अधिकजिन्हें नहीं है ज्ञान।
 समझो यातायात कापूरा तुम विज्ञान।।

 खामोशी से जी रहेसंत और गुणवान।
 लेकिन कष्ट उठा रहेअज्ञानी नादान ।।

शीत ऋतु में दे रहासूरज सबको ताप।
 गर्मी में वो ही किरणझुलसाती है गात।।

 अपनों के संग बैठ केकर लो मन की बात।
 बातों-बातों में कभीमत देना आघात ।।

खेल-खेल में मित्र सेकभी  करना बैर।
 पूरी दुनिया मीत हैसमझ  उसको गैर ।।

खुशहाली गर चाहिएरहो  मद में चूर।
 उन्हें  कोई चाहताजो रहते मगरुर।।




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